श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन धर्म संरक्षिणी महासभा
श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन धर्म संरक्षिणी महासभा
श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन (धर्म संरक्षिणी) महासभा’ के १९८२ में कोटा में आयोजित अधिवेशन में श्री निर्मल कुमार जैन सेठी एवं श्री त्रिलोक चन्द कोठारी अध्यक्ष एवं महामंत्री निर्वाचित हुए। धर्म संरक्षिणी महासभा को पुनः सक्रिय करने के संकल्प के साथ यह भावना कालान्तर में बलवती हुई कि महासभा के तीर्थक्षेत्र विभाग के कार्यों के वर्धन एवं व्यापक कार्यक्षेत्र को देखते हुए एक स्वतंत्र किन्तु धर्म संरक्षिणी महासभा के अन्तर्गत ‘तीर्थ संरक्षिणी महासभा’ का गठन किया जाए और उसकी स्थापना सन् १९९८ में साकार हुई।
उद्देश्य -
- 1 – दिगम्बर जैनों में धार्मिक तथा धर्म से अविरुद्ध विद्या का प्रचार करना।
- 2 – सर्वदेशीय जैन पाठशालाओं में परीक्षा लेकर विद्यार्थियों का धर्म में अभिरुचि एवं उत्साह बढ़ाना।
- 3 – दिगम्बर जैन शास् त्रों से अविरुद्ध धर्मोपदेश दिलाकर सभा, पाठशाला स्थापित कराना तथा व्यर्थ व्यय एवं अन्य कुरीतियों का निवारण कर सदाचार का प्रचार कराना।
- 4 – सदाचार प्रचार के लिए जातीय संगठन और प्रायश्चित प्रथा का प्रचार कराना।
- 5 – प्राचीन दिगम्बर जैन ग्रन्थों का संचय व जीर्णोद्धार कराना।
- 6 – दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र व मंदिरादि धर्म-स्थानों का जीर्णोद्धार एवं सुप्रबन्ध कराना।
- 7 – चतुर्विध दानशाला व अनाथालय आदि की स्थापना कराना, इनके प्रचार में यथाशक्ति सहायता करना।
- 8 – जैनों में वाणिज्यादि की वृद्धि का उपाय करना।
- 9 – जैनों में परस्पर विवादों को जातीय पंचायत द्वारा निर्णय करने का उपाय करना।
- 10 – जैन धर्म और जाति के अधिकारों की रक्षा एवं संवर्धन करना।
यहाँ सेवा धर्म समाज की आगम के अनुकूल। यह पुनीत उद्देश्य है महासभा का मूल॥ र्धम संरक्षिणी महासभा की प्रमुख उपलब्धियां/गतिविधियां
- 1 – जैन गजट साप्ताहिक पत्र की प्रति सप्ताह २० हजार प्रतियों का प्रकाशन।
- 2 – jaingazetteweekly.com के नाम से वेबसाईट पर जैन गजट एवं महासभा प्रकाशनों का प्रति सप्ताह/माह नियमित प्रकाशन।
- 3 – जैन महिलादर्श मासिक पत्रिका की प्रतिमाह सात हजार प्रतियों का प्रकाशन।
- 4 – समाज में निरंतर बढ़ती हुई मांग को देखते हुये प्राचीन आगम ग्रंथों का प्रकाशन। अभी तक लगभग ६० पुस्तकों/ग्रंथों का प्रकाशन।
- 5 – शिक्षण शिविरों हेतु धार्मिक साहित्य का प्रकाशन।
- 6 – जैन समाज को केन्द्र एवं प्रांतों में अल्पसंखयक दर्जा दिलाने हेतु किये जा रहे प्रयासों में योगदान एवं उपलब्धि।
- 7 – जगह-जगह धार्मिक शिक्षण शिविरों का आयोजन करना एवं करने की प्रेरणा देना।
- 8 – शिक्षण शिविरों हेतु निःशुल्क पुस्तकें उपलब्ध कराना।
- 9 – समाज के जातीय संगठनों को मजबूत करना।
- 10 – जीव दया विभाग का सफल संचालन।
- 11 – शाकाहार विभाग द्वारा शाकाहार का देशव्यापी प्रचार/प्रसार।
- 12 – वैयावृत्य विभाग का संचालन।
- 13 – आर्ष परम्परा तथा जैन धर्म के मूल सिद्धान्तों, रीति-रिवाजों एवं प्राचीन संस्कृति की रक्षा के अनथक प्रयास।
- 14 – महासभा की प्रांतीय/संभागीय/जिला स्तरीय एवं क्षेत्रीय शाखाओं द्वारा धर्म/समाजसेवा के अनवरत कार्य।
सभासद बनने के नियम योग्यता-
- 1 – कोई भी दिगम्बर जैन पुरुष, महिला जिसकी उम्र कम से कम १८ वर्ष की हो।
- 2 – जो इस सभा के निश्चित प्रतिज्ञा पत्र पर हस्ताक्षर करके सभा के उद्देश्य और नियमों के अनुसार चलने और आगम विरुद्ध विचारों से सर्वथा असहमत हूँ, इसकी प्रतिज्ञा करे।
Shri Vijay kumar Ji Jain Patni
President-D. Sanrakshni mahasabha
Upper Assam M/S Makum Motors (Makum) Tulsiram Road Tinsuki- 786 125
- Phone : +91-9435035777
- City : Tinsuki Assam
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